हैदराबाद : कोरोना महामारी ने मानवीय संबंधों को पतन कर दिया है। इसका अंजाम क्या होगा, किसी को पता नहीं है। भविष्य में न जाने मानवीय संबंध किसी मोड़ पर जाकर कैसे रुकेंगे। आज एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को तड़पते मरते देख रहा है लेकिन उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। एक व्यक्ति दूसरे को कोरोना संक्रमित की नजरिए से देख रहा है। तड़प रहे व्यक्ति को भी कोरोना मरीज समझ बैठ रहा है। इतना ही नहीं, लोगों का पहले जैसे एक दूसरे के घर आना-जाना नहीं रहा। सब बंद हो गये हैं। यही नहीं, परिवार वाले भी अपने परिजनों को घर में नहीं आने दे रहे हैं।
परिजन ही नहीं पत्नी भी अपने पति को घर में आने से मना कर रही है। ऐसी ही एक घटना तेलंगाना के सिरसिल्ला शहर में प्रकाश में आई है। स्थानीय वेंकटपेट निवासी एक व्यक्ति रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के भिवंडी में शहर गया। वहां पर एक निजी कंपनी में काम रहा है। बहुत दिन बाद उसे अपने बीवी और बच्चों से मिलने की इच्छा हुई है।
बड़ी मुश्किल से सैकड़ों किलोमीटर दूर से बीवी और बच्चों से मिलने सिरसिल्ला आया गया। मगर उसकी पत्नी ने उसे घर में प्रवेश करने पर मना कर दिया। महिला ने पति को साफ कह दिया कि घर में बच्चे हैं। यदि आना है तो 14 दिन होम क्वारंटाइन पूरा होने के बाद आये। तब तक मकान में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
इतना कहकर महिला ने बच्चों को लेकर अंदर से ताला लगा लिया। पत्नी के इस व्यवहार को देखकर वह व्यक्ति परेशान हो गया। यह देख स्थानीय लोगों ने भी महिला को बहुत समझाया। मगर महिला ने उनकी बात भी नहीं मानी। बेचारा पति आखिर करें तो क्या करें। उसने आस पास वालों से पैसे उधार मांगकर फिर वापस भिवंडी के लिए चला गया। सिरसिल्ला शहर में इस समय यह घटना चर्चा का विषय बना हुआ है। कोरोना यह तुने क्या किया है?
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