
चंद्रपुर जिले में हाल के दिनों में कांग्रेस के दो सक्रीय कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई. लेकिन इन कार्यकर्ताओं के लिए अबतक न तो पालकमंत्री और न ही किसी कांग्रेस नेता ने अपनी जुबान खोली है. हालांकि सारा प्रशासन इन दिनों कांग्रेस के हाथों में है. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम हत्याओं का सत्र जारी है. उधर पूर्व वित्तमंत्री के क्षेत्र में ही इस तरह निर्ममता से हत्याएं हो रही है लेकिन न तो वो खुद और न ही उनकी पार्टी इस पर कुछ बोलती नजर आ रही है. कांग्रेस और भाजपा जैसी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के व्यवहार से लगता है जैसे सक्रीय कार्यकर्ताओं की जान की कीमत ही जिले में अब कुछ नहीं है.
चंद्रपुर : गांधी जयंती पर किसान विरोधी कानून के खिलाफ कांग्रेस ने चंद्रपुर शहर के गांधी चौक में धरना आंदोलन किया था. इस समय कांग्रेस के तमाम नेताओं ने उत्तर प्रदेश के हाथरस हत्याकांड को लेकर जमकर नारेबाजी की थी. योगी सरकार को खूब कोसा. लेकिन चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर में 8 अगस्त को घटित कांग्रेस कार्यकर्ता सूरज बहुरिया की गोली मारकर हत्या और 30 सितंबर को दाताला में घटित कांग्रेस कार्यकर्ता मनोज अधिकारी की हत्या पर इनमे से किसी भी नेता ने अबतक कुछ क्यों नहीं कहा है?
हाथरस पर आंसू बहाते नजर आने वाले कांग्रेस के नेताओं को चंद्रपुर जिले में हो रही अपने नेताओं की हत्या नजर नहीं आ रही है क्या? ऐसा सवाल अब पूछा जाने लगा है.
इन दिनों कांग्रेस नेता विभिन्न मुद्दों को लेकर बेहद आक्रामक नजर आने लगे है. लेकिन चंद्रपुर जिले में खुलेआम असामाजिक तत्व हत्याओं को अंजाम देते जा रहे है, इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रह है. जबकि कांग्रेस के नेताओं के अधिन ही पुलिस विभाग भी है. पुलिस के नाक के नीचे खुलेआम कांग्रेस के ही नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है. बावजूद इसके इन मामलों में इन नेताओं की चुप्पी साध लेना समझ से परे है.