Online Classes : फ़ोन सिग्नल के लिए सरस्वती पापा के साथ 5 किलोमीटर जाकर सड़क किनारे करती हैं पढ़ाई हर दिन

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ఆన్లైన్ క్లాసెస్ : ప్రతిరోజూ సెల్ ఫోన్ సిగ్నల్‌ కోసం 5 కిలో మీటర్లు వెళ్లి చదువుతుంది సరస్వతి

असिफ़बाद (तेलंगाना) : 6 साल की सरस्वती घर से 5 किलोमीटर दूर सड़क किनारे ऑनलाइन क्लास करती हैं। राहगीरों की नजरें और वाहनों का शोरगुल तनिक भी उसे परेशान नहीं करता. बगल में उसके पापा बैठे होते हैं. अब आप सोचेंगे कि आखिर सड़क किनारे सरस्वती को क्लास करने की क्या जरूरत है? तो सरस्वती की मजबूरी भी अपने आप में मार्मिक है और पूरी कहानी जानने के बाद आप उसे शाबाशी दिये बिना नहीं रह सकेंगे

ఆసిఫాబాద్‌ : ఈ చిత్రంలోని చిన్నారి పేరు సరస్వతి విద్య. ఆసిఫాబాద్‌ జిల్లా తిర్యాణి మండలం మొర్రిగూడలోని గిరిజన కుటుంబానికి చెందిన కుడిమెత భగవంతరావు కూతురు. సరస్వతి మంచిర్యాల జిల్లా తాండూర్‌ మండల కేంద్రంలోని ఓ ప్రైవేటు పాఠశాలలో ఒకటో తరగతి చదువుతోంది. సాక్షాత్తూ చదువుల తల్లిని తన పేరులో నిలుపుకొన్న ఈ చిన్నారికి చదువంటే అమితమైన ఇష్టం. కానీ, కరోనా వల్ల తను చదివే పాఠశాలను మూసివేసి, ఆన్‌లైన్‌లో పాఠాలు బోధిస్తున్నారు. అయితే, పూర్తిగా ఏజెన్సీ ప్రాంతమైన మొర్రిగూడలో ఏ మొబైల్‌ నెట్‌వర్క్‌ సిగ్నల్స్‌ అందవు. దీంతో సరస్వతి విద్యను తండ్రి ఇదిగో ఇలా ప్రతిరోజూ ఐదు కిలోమీటర్ల దూరంలో. సిగ్నల్‌ వచ్చే ప్రాంతానికి బైక్‌పై తీసుకెళ్లి తిరిగి తీసుకొస్తున్నాడు.

पहली क्लास में पढने वाली सरस्वती एक आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखती है. वो आसिफाबाद जिले के मोरिगुडा गांव की रहने वाली है. बच्ची के पिता का नाम कुदिमता भगवंतराव है. सरस्वती मनचीरियाल जिले एक प्राइवेस्ट स्कूल की स्टूडेंट है. इस छोटी सी बच्ची को पढ़ना काफी पसंद है. हालांकि कोरोना की वजह से उसका स्कूल बंद चल रहा है. वह इन दिनों ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाई करती है. लेकिन उसे पढ़ाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वजह ये कि उसके गांव में किसी मोबाइल का नेटवर्क नहीं आता है. इस वजह से बच्ची रोजना अपने पिता के साथ गांव से 5 किमी. दूर सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करने आती है.

बता दें कि महामारी फैलने के बाद ऐसे कई मामले में आ चुके हैं जहां अब भी गांवो में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस वजह से बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.