नागपुर : पांढरकवडा परिसर में उधम मचाने वाली टी-1 (अवनी) नामक बाघीन को मारने की साजिश दो पशुचिकित्सकों की थी, ऐसा शपथपत्र शिकारी शफत अली खान (63, हैदराबाद ) और उसका बेटा असगर अली खान (40) ने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के सामने प्रस्तुत किया है.
उनके शपथपत्र में कहा गया है कि इन चिकित्सकों ने महाराजबाग के एक अन्य बाघीन का पेशाब अवनी के क्षेत्र में छिड़क दिया. इसी वजह से वह खुद को अपने बच्चों को असुरक्षित समझने लगी थी. तभी से वह रास्ते पर बैठी रहती थी. हमने उसको बेहोश करने के लिए डॉट मारा. लेकिन इसके बाद भी उसे बेहोश होने में 15 मिनट लगते है. इसी दौरान वह बहुत ज्यादा गुस्सा हो गई थी. उसने दल पर हमला किया. हम उस समय खुली जिप्सी में थे. हमारा चालक भी घबरा गया था. वाहन रास्ते से नीचे उतर गया था. ऐसे में अवनी महज 5 से 7 मीटर की दूरी पर थी. इसी लिए खुदको आहर अपने दल के अन्य लोगों को बचाने के लिए हमें उसे मारना पड़ा.
अवनी बाघीन ने यवतमाल जिले के पांढरकवडा वन परिक्षेत्र अंतर्गत 13 लोगों की जान लीे थी. इसके बाद उसे नरभक्षी बताकर जान से मारने के आदेश दिए गए थे. इस आदेश को कई बार न्यायालय में चुनौती भी दी गई थी. लेकिन उच्च न्यायालय ने बाघीन को नरभक्षी ठहराते हुए उसे बेहोश कर पकड़ने के आदेश दिए थे. यदि इंसानों की जान बचाने के लिए उसे मारना ही पड़ जाए तो ही मारा जाए, ऐसा भी न्यायालय ने कहा था. आदेश में यह भी कहा गया था कि उसके दोनों शावकों को बेहोश कर पकड़ा जाए और उन्हें बचाव केंद्र में भेजा जाए. इसके बाद 2 नवंबर 2018 में अवनी को मार गिराया गया था.
दरमियान अवनी के दोनों शावकों का पुनर्वास करें, निजी शिकारी शफत अली खान, असगर अली खान, मुखबिर शेख व पशुचिकित्सक डॉ. बी. एम. कडू पर फौजदारी कार्रवाई की जाए, ऐसी मांग करने वाली याचिका वन्यजीव प्रेमी सरिता सुब्रम्हण्यम ने न्यायालय में दाखिल कराई. इसी सुनवाई के दौरान अब शिकारियों ने अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया है. शिकारी की तरफ से एड. आदिल मिर्जा, याचिकाकर्ता की ओर से एड. श्रीरंग भांडारकर और वनविभाग की ओर से एड. कार्तिक शुकूल ने पैरवी की है.