घर-घर जाकर टीकाकरण से बचाई जा सकती थी अनेक लोगों की जान: बॉम्बे हाईकोर्ट

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है, तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता? इसके अलावा अदालत ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका से यह जानना चाहा कि बेघर लोगों, भिखारियों और सड़कों पर रह रहे लोगों के टीकाकरण के लिए उसकी क्या योजना है?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते बुधवार को कहा कि यदि केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू किया होता तो जाने-माने व्यक्तियों सहित अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने केंद्र से कहा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है, तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता.

याचिका में आग्रह किया गया है कि 75 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, विशिष्ट जनों और बिस्तर या व्हीलचेयर तक सीमित लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.