घुग्घुस (चंद्रपुर) : लॉयड मेटल्स कंपनी वर्धा नदी से पानी लेती है. दिसंबर 2020 तक इस कंपनी ने सिंचाई विभाग को 1 करोड़ 48 लाख 74 हजार 940 रुपये का पानी का टैक्स अदा नहीं किया. राशि लगातर बढ़ती गई तो नकोड़ा के बंद पड़े कोयला खदान के विशाल गड्ढे से पानी चुराने लगी. सिंचाई विभाग को शिकायत मिलते ही गुरुवार, 25 फरवरी को वर्धा नदी के वैध वॉटर प्लांट के अलावा नकोडा के अवैध वॉटर प्लांट को सील कर दिया. शुक्रवार, 26 फरवरी को कंपनी के अधिकारियों ने 20 लाख नकद राशि विभाग में जमा कराया. साथ ही अगले 10 दिनों की मियाद के 30 लाख रुपये के ३ चेक के दिये. बावजूद सिंचाई विभाग नहीं माना और शुक्रवार को कंपनी की जलापूर्ति शुरू नहीं हो पायी.
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लॉयड मेटल्स कंपनी की गुरुवार को सिंचाई विभाग की ओर से वॉटर प्लांट को सील किये जाने के बाद से जलापूर्ति खंडित हो गई. करीब डेढ़ करोड़ बकाया राशि वसूलने की इस मुहिम से कंपनी में खलबली मच गई. शुक्रवार को अनानफानन में कंपनी के अधिकारियों ने 20 लाख रुपये सिंचाई विभाग में जमा कराये. परंतु बात नहीं बन पायी। पश्चात 10 – 10 लाख के 3 चेक अर्थात 30 लाख रुपये के चेक भी सिंचाई विभाग को दे दिये. फिर भी अधिकारियों ने कंपनी को पानी देने से मना कर दिया। सिंचाई विभाग ने एक प्रस्ताव रखते हुए अतिरिक्त 50 लाख रुपये शीघ्र से शीघ्र अदा करने की गारंटी वाला पत्र देने की सूचना दी है. शुक्रवार देर शाम तक सिंचाई विभाग के कार्यालय में टैक्स अदा करने की चर्चा कंपनी के लिए बेअसर रही. इसके चलते लॉयड कंपनी के अधिकारियों को मायूस होकर ही यहां से लौटना पड़ा.
पानी चोरी का जुर्माना तय नहीं
नकोड़ा के बंद पड़े कोयला खदान के विशाल गड्ढे से लॉयड मेटल्स कंपनी की ओर से बरसों से चुराये जा रहे पानी के खिलाफ चंद्रपुर सिंचाई विभाग ने गुरुवार को कार्रवाई करते हुए इस अवैध वॉटर प्लांट को सील लगा दिया. परंतु पानी चोरी की कीमत डेढ़ करोड़ से अधिक होने की आशंका के मद्देनजर सिंचाई विभाग जुर्माना राशि को अभी तय नहीं कर पाया है. मूल्यांकन कर जुर्माने की राशि तय करने में प्रशासन का भी पसीना छूट रहा है. पानी चोरी की इस वारदात को लेकर जहां लॉयड प्रबंधन की किरकिरी हो रही है, वहीं करोड़ों के टैक्स बकाया और जुर्माने की भारी-भरकम राशि को अदा करने में कंपनी संकट से घिरती नजर आ रही है.