अमरावती : आंध्र प्रदेश सरकार ने सोमवार को पारंपरिक दवा के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी जिसे एसपीएस नेल्लोर जिले के कृष्णापटनम जिले के एक आयुर्वेदिक चिकित्सक बी आनंदैया द्वारा तैयार किया जा रहा है । इसे कोविड-19 के इलाज में चमत्कारिक दवा के तौर पर माना जा रहा है।
सरकार ने हालांकि, आनंदैया को आंखों में डालने वाली उस दवा की अनुमति नहीं दी है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसे डालने के कुछ ही मिनट बाद ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है।
मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में कोविड-19 की हुयी उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में सरकार ने तीन पारंपरिक दवाईयों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी जिनका नाम पी, एल और एफ है।
सरकार ने इस बात से आंध प्रदेश उच्च न्यायालय को भी अवगत करा दिया है। आनंदैया ने आदलत में एक रिट याचिका दायर कर दावा किया था कि जो दवाई उन्होंने बनायी है वह अनोखी है और यह प्रभावी सिद्ध हो चुका है तथा इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
आनंदैया ने कहा कि चूंकि वह पिछले कई सालों से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के तौर पर काम कर रहे हैं इसलिये उनकी दवाईयों को किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनकी मंशा अपनी बनायी दवा व्यवसायिक रूप से बेचने की नहीं है, वह इसे लोगों को मुफ्त देना चाहते हैं।
सरकार ने कहा है कि मरीज डॉक्टरों की बतायी हुयी दवा लें और साथ में आनंदैया द्वारा तैयार की हुयी पारंपरिक दवा लें, जिसे कृष्णापटनम मेडिसीन के नाम से जाना जाता है। सरकार का कहना है कि यह व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद होगी।