चंद्रपुर : पूर्व सांसद नरेश पुगलिया ने कहा है कि जिले में निजी और सरकारी स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से विफल साबित हो रही है. कोरोना का संक्रमण जिले में तेजी से बढ़ रहा है. हर कोई संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए बेड खोजता हुआ इस अस्पताल से उस अस्पताल चक्कर काटता हुआ दिखाई दे रहा है.
जिले में एंटीजन टेस्ट के लिए जरूरी किट की भी कमी महसूस हो रही है. स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में जिले के पालकमंत्री ने 700 बेड के कोविड सेंटर की घोषणा की थी. लेकिन इस पर आगे कुछ नहीं हुआ. मेडिकल कॉलेज में आॅक्सिजन के 100 बेड तैयार है. डॉक्टर, नर्स की कमी खल रही है. ऐसे में इन सारी बातों पर ध्यान देने की बजाय निजी हाथों में कोविड सेंटर देने की कोशिश स्वास्थ्य सेवाओं का बाजारीकरण करने जैसा है. पालकमंत्री इसे लेकर गंभीर नहीं है.
उल्लेखनीय है कि नरेश पुगलिया ने इस मामले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को पत्र भी लिखा है. मेडिकल कॉलेज को जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में लिया है. इसके बाद भी बेड बढ़ाने में देरी हो रही है. खनिज विकास निधि का सैकड़ों करोड़ रुपया जिले में उपलब्ध है. उसे स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जा सकता है. वैसे अनुमति भी मिली है. निजी अस्पतालों में कोरोना काल के दौरान ज्यादा वेतन दिया जा रहा है. ऐसा सरकारी अस्पतालों में भी किया जाए तो स्टाफ की समस्या ही खत्म हो जाएगी.
एक व्यापारी की मदद से चंद्रपुर में अगर 15 दिनों के भीतर निजी कोविड केयर सेंटर खड़ा हो सकता है तो सरकारी स्तर पर कोशिश करने से ऐसा क्यों संभव नहीं हो सकता है? रामनगर के शासकीय महिला अस्पताल में 300 बेड की व्यवस्था है, लेकिन यहां पर डॉक्टर्स व परिचारिका नहीं है.
उल्लेखनीय है कि जिले में 700 बेड का निजी कोविड केयर सेंटर बनाया जा रहा है. इसे लेकर लगातार पालकमंत्री, सरकार और प्रशासन की आलोचना की जा रही है. हाल में आप की नेता पारोमिता गोस्वामी और पप्पू देशमुख ने भी इसके खिलाफ मोर्चा खोला था. अब इस लड़ाई में पूर्व सांसद नरेश पुगलिया भी उतर गए है.