INDIAN Constitution : 254 पेन की निब से लिख़ने में 6 महीनों का समय लगा

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प्रेमबिहारी नारायण रायजादा ने भारतीय संविधान को हिंदी एवं अग्रेंजी भाषा में लिखने में 254 निब का इस्तेमाल किया। संविधान को हाथ से लिखने में कुल 6 माहीनों का समय लगा। इसका वजन का वजन 3.75 किलोग्राम है।

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां शामिल हैं। संविधान को बनाने में दो साल 11 महीने और 18 दिनों का समय लगा। वहीं, संविधान को लिखने में 6 महीने लगे। खास बात यह है कि संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा है। इसके अलावा शांति निकेतन के चित्रकारों ने इसे अपनी सुंदर कला से सजाया है।

नहीं लिया एक भी पैसा

प्रेम बिहारी नारायण रायजादा पेशे से कैलीग्राफिस्ट थे। उन्होंने अपने दादा से कैलिग्राफी सीखी थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रायजादा को भारतीय संविधान लिखने की जिम्मेदारी सौंपी। जब उनसे मेहनताना पूछा गया था तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था। भारत के संविधान को लिखने रायजादा को 6 महीने लगे और इस दौरान 254 पेन की निब का भी इस्तेमाल हुआ। ये निब इंग्लैंड के मंगाई गई थी।

रायजादा ने रखी शर्त

संविधान लिखने के लिए रायजादा ने मेहनताना लेने से तो मना कर दिया था, लेकिन उन्होंने इसके लिए एक शर्त रखी थी। उनकी शर्त ये थी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और संविधान के अंतिम पेज पर वो अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे।

संविधान की मूल कॉपी का वजन

भारतीय संविधान को लिखने के लिए पूना से कागज मंगवाया गया था। इटैलिक शैली में लिखे संविधान में रायजादा ने एक भी गलती नहीं की है। भारतीय संविधान की लंबाई 22 इंच और चौड़ाई 16 इंच हैं। भारतीय संविधान की लैदर वाइन्डिंग की गयी है। इसपर सोने की कारीगरी भी की गई है। भारतीय संविधान की मूलप्रति का वजन 3.75 किलोग्राम है।

विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान

भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा हाथो से लिखा संविधान है। कुल 2000 संशोधन के बाद संविधान का वास्‍तविक स्‍वरूप सामने आया। संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ से शुरू होती है। संविधान में नागरिकों के मूलभूत अधिकार के अलावा मौलिक कर्तव्यों को भी रखा गया है। भारत का संविधान लिखने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस और रूस से मदद ली गई थी।