घुग्घुस (चंद्रपुर) : जिले की औद्योगिक नगरी व श्रीमंत ग्रामपंचायत की स्थापना वर्ष 1962 में की गई थी. पिछले 27 वर्षों से घुग्घुस ग्रामपंचायत को नगरपरिषद में बदलने को लेकर विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक संगठनों ने समय समय पर जेलभरो, घुग्घुस बंद, भीख मांगो, आमरण अनशन, धरना आंदोलन, विरु गिरी, हस्ताक्षर अभियान आदि के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश कीे गई.
वर्ष 1995 से 1999 के दरमियान तत्कालीन युति सरकार के शासनकाल में तत्कालीन विधायक सुधीर मुनगंटीवार के प्रयासों से घुग्घुस नगरपंचायत के लिए नकोडा, म्हातारदेवी इन गांवों को शामिल कर सरकारी स्तर पर प्रथम अधिसूचना जारी की गई थी. हालांकि बाद में इसे कचरे की टोकरी में डाल दिया गया.
राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार आने के बाद पालकमंत्री विजय वड्डेटीवार
सांसद बालू धानोरकर और विधायक किशोर जोरगेवार की पूरी टीम व घुग्घुस काँग्रेस की टीम फिर से नगरपरिषद की मांग के लिए जोरशोर से काम में जुट गई. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार घुग्घुस की जनसंख्या 32,600 के आसपास थी. अब यह 50,000 के आस पास है. पालकमंत्री की वजह से 31 अगस्त को नगरपरिषद की प्रथम अधिसूचना जारी की गई.
नगरपरिषद के निर्माण की कार्यवाही जारी ही थी कि अचानक ग्रामपंचायत चुनाव घोषित कर दिए गए. राजूरेड्डी व सैय्यद अनवर ने मुंबई पहुंचकर चुनाव रोकने के लिए पालकमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा. पालकमंत्री ने नगर विकास विभाग को पत्र भेजा. नगर विकास विभाग ने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर तीन माह के लिए राज्य की दस पंचायतों के चुनाव रद्द करने की मांग की. हालही में 23 दिसंबर को सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर पंचायत चुनाव पर सामूहिक बहिष्कार डालने का फैसला लिया है. प्रशासन का ध्यानाकर्षण करने के लिए घुग्घुस बंद, चक्का जाम, मुंडन और अर्धनग्न आंदोलन, ठिय्या आंदोलन भी किया गया.
जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति के सदस्यों ने भी अब नगर परिषद की मांग को समर्थन दे दिया है. उल्लेखनीय है कि इस नगर परिषद के निर्माण के लिए सारे राजनीतिक दल अपने मतभेद भूलाकर एकजुट हुए है. यह ऐतिहासिक लढ़ाई साबित हो रही है.