- ये बढती लोकप्रियता और व्यापार की प्रतिस्पर्धा खुनी जंग मे बदल गई, सूरज खुद्द को ” Tiger ” समझता तो अमन खुद्द को “ Lion ” कहलाना पसंद करता था. सुत्रो के अनुसार हालहि में अमन ने सोशलमीडिया के माध्यम से एक पोस्ट की थी जिसमे ” जंगल वही रहेगा ” लेकिन शेर बदलने की बात की थी, ये इस घटना का पूर्व इशारा था एक का जन्मदिन दुसरे के लिये मरण दिन साबीत हुवा.
रविवार को जन्मदिन की पूर्व संध्या पर बल्लारपुर शहर में लगाए गए सूरज के अनेक जन्मदिन के होर्डिंग स्थानीय नगर प्रशासन द्वारा हटवाए गए
चंद्रपूर : कांग्रेस युवा नेता एवंम कोयला व्यवसायी सूरज बहुरिया सरदार पटेल वार्ड बल्लारपुर निवासी की 08 अगस्त के दिन दोपहर सवा दो बजे गोली मार कर हत्या कर दी गई.
सूरज अपने मित्र की स्विफ्ट कार से पुराना बड़ौदा बैंक के सामने पहुंचा ही था कि पीछे से आये पल्सर बाइक पर सवार मुँह बांधे दो युवकों ने कार की कांच से पिस्तौल सटाकर पांच गोलियां दागीं, एक हवाई फायरिंग भी की सूरज को उसके साथियों ने ऑटो से तुरंत सरकारी अस्पताल पहुंचाया. जहाँ से उसे चंद्रपूर जिला अस्पताल रेफर किया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. हत्या का कारण निजी दुश्मनी बताई जा रही है.
इधर घटना के बाद अमन अंदेवार व अन्य चार आरोपियों गिरफ्तार कर पुलिस के थाने में लाते ही सूरज समर्थको ने थाने में घुस कर आरोपियों से मारपीट करने कोशिश की. भीड़ के उग्र होते ही थानेदार शिवलाल भगत के नेतृत्व में पुलिस ने लाठीचार्ज कर तुरंत स्थिति नियंत्रण में कर ली.
करीब एक घंटे तक पुलिस और भीड़ में झड़प होती रही. चंद्रपूर से दंगा नियंत्रण पथक के आते ही पुलिस दंगाइयों पर टूट पड़ी तो उधर से भी पथराव किया गया. कई बार पुलिस एवं समर्थकों में झूमाझटकी भी हुई. अपने साथी की हत्या से उग्र एवं उत्तेजित हुए समर्थक पुलिस स्टेशन में घुसकर सूरज के हत्यारों को सबक सिखाना चाहते थे. लेकिन थानेदार शिवलाल भगत के नेतृत्व में पुलिस दल ने उनके मंसूबो पर पानी फेर दिया.
घटना को लेकर शहर में सनसनी एवं तनाव का वातावरण व्याप्त हो गया. व्यापारियों ने धड़ाधड़ दुकाने बंद कर दीं. जिला पुलिस अधीक्षक डॉ महेश्वर रेड्डी भी तुरंत बल्लारपुर पहुंचे. सूत्रों के अनुसार पुलिस ने पांच तथाकथित आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
सूरज बहुरिया यह वैध अवैध कोयला व्यवसाय से जुड़ा था. कॉलरी कांटा गेट से अपनी गतिविधिया संचालित करता था. एक बार तड़ीपार रह चुके सूरज ने पिछला नगरपालिका चुनाव शिवसेना से लड़ कर दूसरे स्थान पर था. बाद में वो कांग्रेस में प्रवेश किया. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. कांग्रेस सांसद के वह करीबी माना जा रहा है। यूँ तो वो कोई पदाधिकारी नही था लेकिन कांग्रेस में उसका अपना गुट था सक्रिय रहता था. इस बार भी वो पार्षद के चुनाव की तैयारी में था. हालांकि सूरज के ऊपर अनेक मुकदमे दर्ज थे. लेकिन अपने इलाके में वो लोकप्रिय था. जरूरतमंदों की मदद के लिये हमेशा तत्पर रहा करता था. शहर के दुर्गोत्सव मे सबसे बड़ा पंडाल उसी का रहने की चर्चा है इस वजह से उसकी लोकप्रियता दिन – ब – दिन बढती ही जा रही थी. राजनीतिक बैर के आलावा पुलिस के एक आला अधिकारी से उसका बैर होने के चलते उसे लगातार धमकियां मिलने की भी चर्चा है.