मुंबई : पोती की पढ़ाई के लिए अपना सबकुछ बेच देने वाले बुजुर्ग देशराज सिंह की कहानी ने मुंबईकरों को भी इमोशनल कर दिया है। सोशल मीडिया के एक ‘ग्रुप ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ पर जब देशराज की कहानी लोगों ने पढ़ी तब उनके अनगिनत लोगों ने मदद की पेशकश की। इस ग्रुप के माध्यम से देशराज को 24 लाख रुपये का डोनेशन मिला है। देशराज बताते हैं कि जब उनकी पोती को बारहवीं में 80 प्रतिशत अंक मिले थे। तब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।
उन्होंने बताया कि पोती को पढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी और अन्य लोगों को गांव में अपने रिश्तेदार के घर पर रहने के लिए भेज दिया। जबकि वो खुद मुंबई में खुले आसमान के नीचे अपने और पोती के सपने को पूरा करने के लिए डटे हुए हैं।
रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं,अपना खुदा है रखवाला फिल्मी गाने की यह पंक्तियां 74 साल के बुजुर्ग देशराज सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं।
जिन्होंने अपनी पोती को पढ़ाने के लिए अपना सबकुछ बेच दिया है। देशराज ने अब अपने ऑटो को ही बीते 24 सालों से अपना घर बनाया हुआ है। इस उम्र में आम इंसान रिटायरमेंट की जिंदगी जीता है लेकिन देशराज सिंह ने तो थकना सीखा ही नहीं है। उनके सर पर सिर्फ एक ही जुनून सवार है कि किसी भी कीमत पर उन्हें अपनी पोती को टीचर बनाना है। उनके सपने को पूरा करने के लिए उनकी पोती भी जी-जान से जुटी हुई है। हर आम इंसान की तरह देशराज भी सपनों के शहर मुंबई में कई सपने लेकर तकरीबन 35 साल पहले आए थे। देशराज की जिद और समर्पण आज की युवा पीढ़ी के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है।
पोती की पढ़ाई के लिए बुजुर्ग देशराज सिंह ने ऑटो को ही अपना घर बनाया और महीने के दो से तीन हजार रुपए बचाने शुरू कर दिए जो वे घर के लिए खर्च करते। आपको बता दें कि देशराज सिंह के चार बच्चे थे। जिनमें से 3 लड़के और एक लड़की है। उनके सबसे बड़े बेटे की मौत साल 2016 में हो गई थी और उसके 2 साल बाद उन्होंने अपने दूसरे बेटे को भी खो दिया था। देशराज के पास शोक मनाने का भी समय नहीं था। क्योंकि उन्हें अपने परिवार का पेट पालना था वो भी अकेले। इसलिए अगले दिन से ही वह काम पर निकल गए। इस सोच के साथ कि जो भी कमाएंगे वो परिवार के हर सदस्य के साथ बराबर बांटा जाएगा। देशराज के सबसे छोटे बेटे एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते वो भी छूट गई।