चंद्रपुर : शहर से सटकर बहने वाली जलवाहिनी कही जाने वाली इरई नदी का उगम इरई बांध से हुआ है। किंतु इस नदी के किनारों से रेत तस्करों प्रतिदिन सैकडों ब्रास रेत की तस्करी कर प्रतिदिन लाखों का सरकारी राजस्व डूबो रहे है। इसके बावजूद संबंधित विभाग आंखें मूंदे है।
पडोली से वर्धा नदी के किनारे से बडे पैमाने पर रेत का उत्खनन और परिवहन तडके से देर शाम तक जारी है। कई मर्तबा राजस्व विभाग ने छुट पुट कार्रवाई की है। किंतु जुर्माना इतना कम होता है कि रेत तस्कर आसानी से अदा कर और जोरों से रेत का उत्खनन और परिवहन करते है। रेत तस्करों के खिलाफ कडी कार्रवाई और जुर्माना अल्प होने की वजह से रेत तस्कर आसानी से छूट जाते है। इस प्रकार रेत तस्करों से नदी किनारे कई जगहों पर बडे बडे गड्ढे हो गए है। जिससे नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हा रहा है। इसे लेकर पर्यावरणवादी काफी चिंतीत है।
रेत तस्करी को नियंत्रित करने दल तैयार किया गया है। किंतु कुछ दिनों के बाद इस पथक की कार्रवाई की शून्य हो गई है। जिससे रेत तस्करों के हौसले बुलंद है। इसका मुख्य कारण है कि राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की रेत तस्करों के साथ मिली भगत है इसके चलते कार्रवाई के पूर्व उन्हे सूचना मिल जाती है। इस ओर संबंधित विभाग को ध्यान देकर ठोस और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। पांच महीने पूर्व लखमापुर मंदिर के बाजू में स्थित झोपडी में रहने वाली महिला की रेत तले दबने से मृत्यु हो गई थी। इस मामले में रेत तस्कर और ट्रक्टर मालिक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होना था। किंतु उन्हे बचाया गया है। इसे लेकर लोगों में राजस्व और पुलिस प्रशासन के खिलाफ विविध चर्चाएं जारी है।