चंद्रपूर : जिले की औद्योगीक नगरी घुग्घुस मे रोजगार की तलाश मे देश के विभिन्न राज्यों से कई नागरिक यहां आये इनमे तेलगू भाषिकको की तादाद देखते हुए पालकों ने अपने बच्चो को क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा ग्रहण करने हेतू 70 के दशक में जिले में एकमात्र जिलापरिषद द्वारा तेलुगू स्कूल की निव रखी गई थी।
इसमें प्रथम कक्षा से चौथी कक्षा तक घुग्घुस में और पाँचवीं से दसवीं कक्षा के लिये नकोडा ग्राम में स्कूल की शुरवात 80 के दशक में की गई।
वक्त के बदलाव में बिते दो दशको में तेलुगू भाषिक माता – पिताओं अपने बच्चों को इंग्लिश मिडीयम के स्कूलों में पढ़ाने लगे। अब क्षेत्रीय भाषा चाहे तेलुगू हो या मराठी पालकवर्ग अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल में ही शिक्षा देना चाह रहे है।
नतीजन अब तेलुगू स्कुलों को छात्र – छात्राओं के ऍडमिशन के लिये दर – दर भटकना पड रहा है।
नकोडा में छात्रों की संख्या कम होने से जिलापरिषद के सीईओ द्वारा इसे बंद करने का निर्णय लिया गया था। किंतु शिक्षक तथा माता – पिता के अनुरोध पर घुग्घुस काँग्रेस अध्यक्ष राजूरेड्डी ने पालकमंत्री विजय वड्डेटीवार से निवेदन कर स्कुल को बंद होने से बचाने का प्रयास किया।
मात्र घटती छात्र संख्या के मद्देनजर अन्य शिक्षको को तबादला दे किया गया।
इस स्कुल में अब केवल दो ही शिक्षक रह गये है।
वो भी बी.ए. बीएड होने से 8 वी 10 की छात्र – छात्राओं को उचित रूप से शिक्षा देने में असमर्थ हो रहे है। इसलिए स्कुल में एक गणित और विज्ञान शिक्षक नियुक्त कर स्कुल के अस्तित्व को बचाने की मांग काँग्रेस अध्यक्ष राजूरेड्डी ने की है।