❤️ हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए पहली बार मेट्रो ट्रेन का इस्तेमाल

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पहली बार मेट्रो का ग्रीन काॅरिडोरः धड़कता दिल लेकर 21 किमी का सफर आधे घंटे में किया

हैदराबाद :  देश में पहली बार किसी मेट्रो ट्रेन का ग्रीन काॅरिडोर बना। मंगलवार को हैदराबाद मेट्रो ने एक ब्रेन डेड व्यक्ति का दिल शहर के दूसरे छोर पर स्थित अन्य अस्पताल तक पहुंचाया। दोनों अस्पतालों के बीच की दूरी 21 किमी की थी और सफर में एक घंटा लगना था, लेकिन मेट्रो ने इसे 30 मिनट में पूरा कर लिया।

प्रत्यारोपण के लिए दिल को निकलाने के बाद चार घंटे में दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित करना होता है। इसलिए मेट्रो ने दिल को पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। तेलंगाना के नलगोंडा जिले के एक किसान के परिवार ने यह अंग दान किया। किसान को हैदराबाद के कामिनेनी अस्पताल में डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। इसके बाद अपोलो अस्पताल  की एक टीम ने उसे दूसरे व्यक्ति के शरीर में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया।

नगोले व जुबली हिल्स के बीच बना ग्रीन काॅरिडोर
हैदराबाद मेट्रो रेल ने नगोले और जुबली हिल्स के बीच स्पेशल ग्रीन कॉरिडोर बनाया था। इसके जरिए एलबी नगर स्थित कामिनेनी अस्पताल से जुबली हिल्स स्थित अपोलो अस्पताल में धड़कता हुआ दिल ले जाया गया।

विशेष मेट्रो चलाई गई
हैदराबाद मेट्रो रेल लि. के प्रबंध निदेशक एनवीएस रेड्डी के अनुसार देश में ऐसा ग्रीन काॅरिडोर पहली बार बनाया गया।  एक जीवित हृदय को ले जाने के लिए विशेष मेट्रो ट्रेन चलाई गई। एल एंड टी मेट्रो रेल हैदराबाद लि. के सीईओ केवीबी रेड्डी ने दोनों अस्पतालों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमें एक व्यक्ति के जीवन को बचाने का मौका मिला। नगोले और जुबली हिल्स के बीच ट्रेन के नॉन स्टॉप संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। जीवन बचाने के लिए दिल को ले जाने का काम सरल तरीके से अंजाम दिया गया।

ये खास इंतजाम किए गए
दोनों स्टेशनों के बीच आने वाले सभी स्टेशनों को अलर्ट किया गया था। जुबली हिल्स चेक पोस्ट स्टेशन पर एक एंबुलेंस भी तैयार रखी गई थी, ताकि बिनी किसी देरी के हृदय को अपोलो अस्पताल तक पहुंचाया जाए। मेट्रो के इस विशेष फेरे में प्रत्यारोपण के लिए निकाले गए हृदय के साथ केवल मेडिकल एक्सपर्ट की टीम ही सवार थी।

44 वर्षीय मरीज को मिला जीवनदान
अपोलो अस्पताल के डाॅक्टरों ने बताया कि 44 वर्षीय एक मरीज गंभीर अवस्था में भर्ती था। उसे हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत थी, इस तरह उसे जीवनदान मिल गया।