70 लोग पीछे पड़ गए, फिर भी हाथ नहीं आ रही “मयूरी”

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चंद्रपुर : एक अनार सौ बीमार की कहावत तो आपने सुनी होगी। लेकिन एक मयूरी और उसके पीछे पड़े है 70 लोग। इस मयूरी को खोजने के लिए 50 ट्रैप कैमरे भी लगाए गए। लेकिन मयूरी इतनी चालाक है कि वह इन लोगों को भी चकमा दे रही है। आखिर कौन है यह मयूरी। इसका कसूर क्या है ? 70 लोग इसे क्यों खोज रहे है ? ये लोग कौन है ? इन सवालों के जवाब जानना है तो आइए चलते है ताडोबा के खड्सनगी के घने जंगलों में। यही वह इलाका है जहां मयूरी के पीछे पीछे पड़े लोगों का पसीना छूट रहा है।

ताडोबा अंधारी राष्ट्रीय व्याघ्र प्रकल्प के बफर जोन अंतर्गत चिमूर तहसील के खडसंगी वनपरिक्षेत्र के उपक्षेत्र 3 के कक्ष 53 में गश्त कर रहे वनकर्मचारियों को एक सप्ताह पूर्व 3 कमजोर सेहत के बाघ के शावक दिखाई दिए थे. तीनों को उपचार के चंद्रपुर के प्राथमिक उपचार केंद्र में लाया गया जिसमें से इलाज के दौरान एक की मृत्यु हो गई और दो शावकों का उपचार जारी है.

वनविभाग की टीम मयूरी को तलाशने में जुटी है किंतु 10 बीत गए लेकिन बाघिन(मयूरी) का पता नहीं चल पाया है. मयूरी को खोजने 70 कर्मचारी और 50 ट्रैप कैमरे लगाये

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के निर्देशानुसार 29 अक्टूबर को उसका पोस्टमार्टम कर दाहन किया गया है.
वर्तमान समय पर दोनों का उपचार जारी है। अनुमान है कि बाघिन मयूरी से बिछडने की वजह से यह शावको की स्वास्थ्य काफी खरब गई हैं ऐसा कहा जा रहा है.
क्योंकि शावक अभी अपना शिकार नहीं कर सकते है। इसलिए बाघिन को खोंजने वनविभाग के 70 कर्मचारी और 50 ट्रैप कैमरे लगाये है। किंतु 10 दिन बीतने पर भी बाघिन का पता नहीं चल सका.

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