चंद्रपुर : शहर से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित जुनोना गांव में रहने वाली अर्चना संदीप मेश्राम अपनी बेटी के साथ एक जुलाई की सुबह करीबन 5.30 बजे के दरम्यान घर में शौचालय न होने के कारण पास के जंगल में सौच के लिए गई, साथ में पीछे से पांच साल की बच्ची भी गई थी।
इतने में दबे पांव एक तेंदुआ वहां आया और उसने अचानक 5 वर्षीय बच्ची का सर अपने जबड़े से पकड़ा और उसे खींच कर लिए जाने लगा। अचानक मां अर्चना मेश्राम ने यह देखा। तुरंत अर्चना ने लकड़ी के डंडे से तेंदुए पर प्रहार किया।
मां बीच में आई तो तेंदुआ बच्ची को छोड़ कर मां पर टूट पड़ा। लेकिन इस साहसी मां ने हाथ में रखी लकड़ी से तेंदुए पर पलटवार किया। तेंदुए ने फिर मां को छोड़ा और बच्ची की ओर लपका। वह बच्ची को लेकर तेजी से जाने लगा। लेकिन इस मां ने बिजली की फुर्ती दिखाई। वह उठकर उस तेंदुए के पीछे भागी और फिर उसने अपने हाथ में रखी हुई लकड़ी से तेंदुए पर जम कर प्रहार किया। तेंदुआ घबरा गया और बच्ची को छोड़ कर जंगल की ओर भाग खड़ा हुआ।
तेंदुए के जबड़े से दबाए जाने की वजह से प्राजक्ता अचेत सी हो गई थी। मां अर्चना संदिप मेश्राम खुद भी जख्मी हो चुकी थी। लेकिन उन्होंने अपने जख्मों की परवाह नहीं की और खून से लथपथ बच्ची को गले से लगा लिया और गांव की तरफ भागी। पति की मदद से वह फौरन चंद्रपुर जिला अस्पताल पहुंची और 15 दिनों के इलाज के बाद वहां के डॉक्टर उसे आगे के इलाज के लिए नागपुर के सरकारी डेंटल अस्पताल भेज दिया। शुक्रवार को नागपुर पहुंचे हड्डी रोग विभाग के डॉ. अभय दातारकर से मुलाकात की। उन्होंने उस माँ के साहस की सराहना करते हुए लड़की की जांच की। उन्होंने सर्जरी करने का फैसला किया क्योंकि उन्हें एक्सरे में चेहरे का ऊपरी जबड़ा कई जगह टूटा हुआ था। लड़की की दाहिनी आंख बंद नहीं होती है। अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया है। सोमवार को पांच साल की प्राजक्ता की सर्जरी होगी।